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कागज़-कभी तुम भी कलम उठाया करो

#लेखनी दैनिक काव्य प्रतियोगिता

मैं तो लिखती हूँ हमदम
कभी तुम भी कलम उठाया करो
कोरे कागज पर दिल की बात,
कुछ खास एहसास जताया करो

कभी आँखों को सागर लिख दो
चाहो तो नशीला जाम लिखो
होठों को शहद से मीठे और
ज़ुल्फ़ों को मदमाती शाम लिखो

जो छुपा के तुमने रक्खे हैं
अनकहे जज़्बात कर दो न बयां 
दीवानों सी मोहब्बत है मुझसे
लिख दो वो जो अब तक न कहा

जब पढूंगी मैं उस कागज़ को
हाय खुद से ही शरमाउंगी
बार बार हर लफ्ज़ को पढ़के
मन ही मन इतराउंगी

प्रीति ताम्रकार
जबलपुर, मप्र

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13 Comments

Shrishti pandey

15-Apr-2022 09:30 AM

Nice

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Abhinav ji

15-Apr-2022 08:45 AM

Nice👍

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Dr. Arpita Agrawal

15-Apr-2022 07:18 AM

बहुत सुंदर 👌👌

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